International Journal of Social Science and Humanities
2020, Vol. 2, Issue 2
भारत में ग्रामीण विकास के सन्दर्भ में सामाजिक अंकेक्षण की उपादेयता
हिम्मताराम
भारतीय समाज का मूल चरित्र वस्तुत: ग्रामीण है, देश की जनसंख्या की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाॅवों में रहती है, लेकिन भारतीय गाॅव अनेक सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक समस्यायों से ग्रस्त है, इन समस्यायों के परिणामस्वरूप गाॅवों की दशा बड़ी दयनीय है। जबकि गाॅवों की प्रगति और विकास पर ही बहुत हद तक भारत का भविष्य निर्भर है । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकारी स्तर पर ग्रामीण विकास के लिए प्रयास प्रारम्भ किये गए, जिनका उद्देश्य गाॅवों को राष्ट्रीय प्रगति में भागीदार बनाना है ।
यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रामीण विकास योजनाएॅ ने देश में राजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । सामाजिक अंकेक्षण इनके लाभों को और अधिक व्यापक रूप से जन-जन तक पहुॅचाने में सहायता कर रहा है, समय की मांग है कि सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया की चुनौतियों का समाधान खोजने हेतु देश के थिंक टैंक का प्रयोग किया जाए एंव भविष्य हेतु रणनीति निर्धारित की जाए।